World Cup 2023 : चाहे बात क्रिकेट की हो रही हो या फिर हॉकी के खेल की, नीले रंग की जर्सी देख प्रत्येक व्यक्ति पल भर के लिए ठहरने को विवश हो ही जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि भारतीयों को नीले रंग की जर्सी से इतना अधिक प्रेम होता है, कि वह जर्सी पहनने वाले खिलाड़ी के साथ-साथ खेल से भी बहुत अधिक जुड़ जाते हैं और खेल को काफी अधिक अहमियत भी देने लगते हैं।
आज इस आर्टिकल के जरिए हम क्रिकेट नहीं बल्कि हॉकी के खेल की बात कर रहे है। 29 से 10 दिसंबर तक भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम वर्ल्ड कप की तैयारियों में लगी हुई है। जहां वर्ल्ड कप से कुछ दिन पहले तुषार खांडेकर को हरविंदर सिंह की जगह टीम का हेड कोच गया है। इसी साल जनवरी में एरिक वोनिक के पद छोड़ने के बाद वह हेड कोच बनाए गए थे।
किन कारणों के चलते तुषार खांडेकर पर किया गया भरोसा
हॉकी इंडिया के मुताबिक सीनियर और जूनियर टीमों की रिस्पांसिबिलिटी महिला मुख्य कोच यानेक शोपमैन को दी गई थी, लेकिन नीदरलैंड की पूर्व खिलाड़ी एशियाई खेलों की तैयारियों में काफी व्यस्त चल रही हैं, जिसके चलते टीम का हेड कोच खांडेकर को नियुक्त किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय हॉकी में यह खिलाड़ी काफी सफलता तक पहुंच सका है, इसके साथ ही कोचिंग में भी अपने आप को बखूबी साबित किया है, जिसके चलते अब वह यह जिम्मेदारी पाने का असली हकदार था।
जूनियर महिला हॉकी टीम का हेड कोच बनने के बाद तुषार खांडेकर ने बताया कि,
“अपने खेल करियर के बाद मेरा झुकाव हमेशा कोचिंग की ओर रहा है. मैंने कुछ सालों में वर्ल्ड हॉकी के कई प्रसिद्ध कोच की देखरेख में काम किया है और उनसे बहुत कुछ सीखा है. मैं युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के साथ इस जानकारी को साझा करने के लिए काफी उत्सुक हूं।”
जानकारी के लिए बता दें कि इस नियुक्ति पर हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की द्वारा कहा गया, कि तुषार खांडेकर के पास एक खिलाड़ी और कोच दोनों का ही पद संभालने की काबिलियत मौजूद है। हॉकी का उसे दशकों से विशेष अनुभव है। वह युवा खिलाड़ियों के लिए आदर्श साबित हों सकते हैं।