IND vs WI : भारतीय टीम वेस्टइंडीज दौरे पर पहुंच चुकी है। 12 जुलाई को भारत और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट सीरीज खेली जाएगी। जिसके चलते भारतीय टीम बारबाडोस में अभ्यास भी शुरू कर चुकी है। वेस्टइंडीज सीरीज में सीनियर खिलाड़ियों के साथ-साथ कुछ नए खिलाड़ियों को भी मौका दिया गया है। लेकिन इन सबके बीच चयनकर्ता एक ऐसे नाम को भूल गए जिसने 4 साल पहले वेस्टइंडीज में रनों का अंबार लगा दिया था और भारत को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान निभाया था।
साल 2019 में जब भारतीय टीम टेस्ट सीरीज के लिए वेस्टइंडीज दौरे पर गई थी, उस समय कप्तानी की बागडोर विराट कोहली के हाथों में थी और रोहित शर्मा टेस्ट टीम से बाहर चल रहे थे। वही केएल राहुल, मयंक अग्रवाल और चेतेश्वर पुजारा बल्लेबाजी लाइन अप का हिस्सा थे, लेकिन यह चारों बल्लेबाज टीम के लिए कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सके। बल्कि टीम को बचाने का श्रेय अजिंक्य रहाणे और हनुमा विहारी इन दो बल्लेबाजों को जाता है, जिसमें अजिंक्य रहाणे तो इस बार भी टीम के साथ मौजूद हैं लेकिन हनुमा विहारी को चयनकर्ता भूल गए हैं।
कैरेबियाई जीत के स्टार
अब से 4 साल पहले भारत और वेस्टइंडीज के बीच दो मैचों की टेस्ट सीरीज खेली गई थी, जिसमें भारत 2-0 से सीरीज जीतने में कामयाब रहा। इस जीत का श्रेय दाएं हाथ के बल्लेबाज और 25 वर्षीय खिलाड़ी हनुमा विहारी को जाता है, जो भारतीय टीम में अपनी जगह बनाने की लगातार कोशिशों में लगे हुए थे। घरेलू क्रिकेट में अपने दमदार प्रदर्शन और लंबी शतकीय पारी के चलते उन्होंने अपनी एक खास जगह बनाई थी। उन्हें टीम इंडिया में चेतेश्वर पुजारा का विकल्प भी माना जा रहा था।
इस बात को उन्होंने वेस्टइंडीज सीरीज के दौरान अपने दमदार प्रदर्शन के चलते साबित भी कर दिया था। छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए वह चार पारियों में 96 की औसत से सबसे अधिक 289 रन बनाने में कामयाब रहे, इसके साथ एक शतक और दो अर्धशतक भी लगाएं।
हनुमा विहारी के इस ताबड़तोड़ प्रदर्शन के बाद टीम में उनकी जगह पक्की होनी चाहिए थी, लेकिन चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ी भले ही दमदार बल्लेबाजी करने में असमर्थ रहे हो, और उनके बल्ले से रन निकलना मुश्किल हो रहे हो, फिर भी हनुमा विहारी के लिए टीम में अपनी जगह बनाना कोई आसान नहीं था।
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काफी मुश्किलों से मिल सका मौका
वेस्टइंडीज के बाद साल 2022 में हनुमा विहारी ने अपने पिछले टेस्ट तक भारत के लिए कुल 10 टेस्ट खेले, जिसमें 17 पारियों में वह सिर्फ दो अर्धशतक जड़ सकें। इस दौरान उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, लेकिन इस पारी में लगातार छह टेस्ट मौजूद थे। जिनमें वह न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका मैं खेलें। उनके लिए सबसे मुश्किल परिस्थिति थी, उनका एक टेस्ट इंग्लैंड में था। यह ऐसा टेस्ट मैच था जिसमें भारत के मिडिल ऑर्डर की रीड अधिकतर मौकों पर फ्लॉप ही साबित हुई। ऐसी स्थिति में अकेले हनुमा विहारी को दोष देना कहां तक उचित है।
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वो तीन टेस्ट, नए नाम और फिर गुमनाम
हालांकि पिछले साल जब चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे टीम से ड्रॉप हो गए थे। हनुमा विहारी को श्रीलंका सीरीज के दौरान मौका दिया गया था, जिसके चलते वह इस सीरीज की तीन पारियों में 124 रन बनाने में कामयाब रहे। जिसमें 1 अर्धशतक भी मौजूद था, लेकिन इस सीरीज में उनको बड़ा स्कोर बनाने का मौका गवा दिया, जिसके चलते वह अपनी जगह पक्की करने में नाकाम रहे। इसके बाद जुलाई 2022 में उन्होंने बर्मिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में कुछ खास कमाल नहीं दिखा सके और बाकी बल्लेबाजों की तरह नाकाम साबित हुए और सिर्फ 31 रन ही बना सके।
इन सबके बीच श्रेयस अय्यर और शुभ्मन गिल अपनी जगह पक्की करने में कामयाब रहे, लेकिन हनुमा विहारी धीरे-धीरे अपनी जगह गवाते चले गए। अब वह सिर्फ एक फॉर्मेट के खिलाड़ी रह गए हैं। वह वनडे फॉर्मेट या T20 फॉर्मेट में भाग नहीं लेते, यहां तक कि उन्हें आईपीएल में भी कोई खरीददार नहीं मिल सका। इसके साथ ही पिछले रणजी सीजन के दौरान भी बल्लेबाजी करते हुए मात्र 490 रन ही बना सके, जबकि सरफराज खान, रजत पाटीदार जैसे युवा और आक्रमक बल्लेबाज बड़े स्कोर तक पहुंच गए।
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बदलाव से बदल सकती है किस्मत?
यहां बात सिर्फ हनुमा विहारी के मैच खेलने की नहीं हो रही है, बल्कि उनका तो स्क्वायड में चयन तक नहीं हो पा रहा। इसके साथ ही उन्हे सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया है। यहां तक उन्हें जिस खिलाड़ी का उत्तराधिकारी माना जा रहा था। वह भी इस बार टीम में नहीं है। भारतीय टीम में वापसी का इंतजार कर रहे हनुमा विहारी घरेलू क्रिकेट में अपनी टीम आंध्र प्रदेश को छोड़कर मध्य प्रदेश जाने पर विचार कर रहे हैं क्या यहां से उनकी किस्मत में कुछ सुधार हो सकता है।