Happy Birthday Dhoni : तमाम संघर्षों के बाद धोनी बने देश की शान, छोड़ी फुटबॉल, की रेलवे में टीटी की नौकरी

Happy Birthday Dhoni : आज शुक्रवार को भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपना 42वां जन्मदिन मना रहे हैं। 7 जुलाई 1981 को उनका जन्म रांची में हुआ था। धोनी आज भले ही करोड़ों की संपत्ति के मालिक क्यों ना बन गए हो, लेकिन उनका बचपन ऐसा नहीं गुजरा, वह एक मध्यम परिवार से बिलॉन्ग करते थे, उनकी सफलता की कहानी काफी संघर्षो भरी है।

रांची के उत्तराखंड में जन्मे धोनी के पिता का नाम पान सिंह और माता का नाम देवकी था। उनके पिता उत्तराखंड से रांची आकर एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। माही की एक बड़ी बहन जिनका नाम जयंती है और एक नरेंद्र नाम का बड़ा भाई भी है।

फुटबॉल खेलते खेलते अचानक क्रिकेट का छाया नशा

महेंद्र सिंह धोनी को खेलों का बचपन से ही शौक था। वह श्यामली (रांची) के एक डीएवी स्कूल में पढ़ते थे। स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ वह बैडमिंटन और फुटबॉल के शौकीन थे। वह अपनी फुटबॉल टीम के स्कूल में गोलकीपर भी थे। एक बार उनके फुटबॉल कोच द्वारा स्थानीय क्रिकेट क्लब में उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए भेजा गया, जिसके चलते धोनी ने अपनी विकेटकीपिंग से सबको अपनी तरफ आकर्षित कर लिया। ‌ इस दौरान धोनी के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें 1997- 98 सीजन के वीनू मांकड ट्रॉफी अंडर 16 चैंपियनशिप के लिए चुना गया। महेंद्र सिंह धोनी ने दसवीं कक्षा के बाद अपना पूरा ध्यान क्रिकेट में लगाना शुरू कर दिया।

अंडर 19 में नहीं हो सका चयन, टीटी की करनी पड़ी नौकरी

अपने करियर की शुरुआत क्रिकेट से करने का सपना देख रहे धोनी की टीम को अचानक अंडर 19 ट्रायल में बुरी तरह शिकस्त का सामना करना पड़ा, जिसके चलते धोनी का चयन नहीं हो सका। धोनी इसके बाद बहुत अधिक निराश हो गए। इसी बीच उन्हे रेलवे में टीटी की नौकरी मिल गई, जिसे पिता की खुशी के लिए उन्होंने अपना लिया। साल 2001 से 2003 तक यह दिग्गज क्रिकेटर दक्षिण रेलवे के खड़कपुर स्टेशन पर टीटीई की नौकरी करता रहा।

अचानक छोड़ नौकरी इंडिया ए से किया पदार्पण

धोनी टीटीई की नौकरी करते थे। उस समय भी वह रेलवे के लिए क्रिकेट खेला करते थे, लेकिन उन्हें अपने जीवन में कुछ बड़ा कर दिखाना था। ऐसी स्थिति में उन्होंने एक बड़ा कदम उठाते हुए टीटीई की नौकरी को छोड़ दिया और बाद में इंडिया ए की ट्रायल टीम में भाग ले लिया, जिसमें धोनी ने जमकर छक्के लगाए जिसके चलते वह अपनी इस मार्ग पर जगह पक्की करने में कामयाब रहे।

जहां से करी शुरुआत वही जाकर हुआ अंत

साल 2004 में कैन्या के (नैरोबी) मे इंडिया ए टीम से खेलते हुए धोनी ने 50 ओवर के इस टूर्नामेंट में दो शतक जड़े थे, जिसके चलते पाकिस्तान के खिलाफ भारत की मुख्य टीम में उन्हें जगह मिल सकी। लेकिन बल्लेबाजी को देखते हुए उनके करियर की शुरुआत कुछ खास नहीं रही, अपने शुरुआती चार एकदिवसीय मैचों में वह अपने बल्ले से कुछ खास कमाल नहीं दिखा सके, जिसमें तीन बांग्लादेश और एक मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला गया था। 2004 में करियर के पहले एकदिवसीय मैच में वह आउट हुए थे। वहीं बाद में चौथे मैच में शतक जड़ने में कामयाब रहे, और फिर उनके आगे बढ़ने का सिलसिला लगातार जारी रहा।

उन्होंने अपनी कोशिशों के चलते जल्द ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा और शुरुआत के 1 साल के अंदर ही एकदिवसीय मैचों में 148 और 183 की धाकड़ पारियां खेलते हुए लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे। राहुल द्रविड़ जिन्हें क्रिकेट की दीवार माना जाता था, उन्होंने वनडे वर्ल्ड कप 2007 में अपनी कप्तानी छोड़ दी थी। धोनी की कप्तानी के दौरान भारत आईसीसी T20 वर्ल्ड कप 2007, राष्ट्रमंडल बैंक श्रंखला (CB) सीरीज, 2007 – 08, एशिया कप 2010, आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप 2011 और आईसीसी चैंपियन ट्रॉफी 2013 जीतने में कामयाब रहा। यह सारी ट्रॉफियां जीत उन्होंने भारत को चैंपियन बनाया।

15 अगस्त 2020 को यह दिग्गज खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास ले बैठा। उनका आखिरी एकदिवसीय मुकाबला काफी दुखद रहा। 2019 के वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ वह रन आउट हो गए, जिसके चलते टीम को शिकस्त का सामना करना पड़ा। ऐसी स्थिति में देखा जाए तो उनके करियर की शुरुआत भी रनआउट से ही हुई और इसी के साथ उनके करियर का अंत भी हुआ।

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