साल 2021 को खेले जाने वाले वर्ल्ड कप के दौरान जब भारत को 2021 T20 World Cup में सफलता नहीं मिली, उस समय विराट कोहली ने टी20 और वनडे फॉर्मेट की कप्तानी को छोड़ दिया था। विराट कोहली के रिप्लेसमेंट पर उस समय BCCI द्वारा रोहित शर्मा का चयन किया गया, जिसके चलते उन्हें पहले टी20 और वनडे फॉर्मेट का कप्तान बनाया गया, उसके बाद रोहित शर्मा को टेस्ट फॉर्मेट की भी कमान सौंप दी गई।
रोहित शर्मा को भी कप्तानी में नहीं मिली सफलता
रोहित शर्मा आईपीएल ट्रॉफी अपने नाम की थी जिसके चलते BCCI द्वारा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एक बेहतर कप्तान का चयन किया गया। लेकिन बीसीसीआई गलत साबित हुआ। रोहित शर्मा की कप्तानी के दौरान ही भारत को अब तक T20 वर्ल्ड कप, एशिया कप, आईसीसी विश्व चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में शिकस्त का सामना करना पड़ा है।
इसी बीच एक ऐसा युवा खिलाड़ी भी रहा है, जो किन्हीं व्यक्तिगत कारणों के चलते भारतीय टीम का हिस्सा नहीं बन सका। लेकिन अगर बीसीसीआई द्वारा इस खिलाड़ी को नियमित मौके और सही मार्गदर्शन प्रदान किया जाता और विराट कोहली के रिप्लेसमेंट पर कप्तानी की बागडोर सौंप दी जाती, तो आज शायद भारत वर्ल्ड कप चैंपियन बन गया होता।
पृथ्वी शॉ में एक सफल कप्तान के गुण मौजूद
पृथ्वी शॉ को भारत का सर्वश्रेष्ठ और युवा बल्लेबाज माना जाता है। जिनके बारे में रवि शास्त्री ने बताया था, कि पृथ्वी शॉ ब्रायन लारा, सचिन तेंदुलकर , और वीरेंद्र सहवाग का संयुक्त रूप है
पृथ्वी शॉ ही भारत को अंडर-19 वर्ल्ड कप जिताने में कामयाब रहे हैं, उस टूर्नामेंट के दौरान अपनी धाकड़ बल्लेबाजी से शुभमन गिल के बाद सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों में पृथ्वी शॉ का नाम शामिल है। बड़े-बड़े गेंदबाजों को पृथ्वी शॉ ने अपनी बल्लेबाजी से पीछे छोड़ दिया। अगर उन्हें कप्तानी की बागडोर सौंपी जाती तो वह बिना किसी भय के आज बेहतर क्रिकेट खेलते
राहुल द्रविड़ से भी है काफी बेहतर रिश्ते
जानकारी के लिए बता दें कि राहुल द्रविड़ के साथ पृथ्वी शॉ का काफी बेहतरीन रिश्ता रहा है। जिस समय राहुल द्रविड़ भारत के हेड कोच थे, उन्होंने अंडर-19 वर्ल्ड कप के दौरान भारत को चैंपियन बनाया था, इस दौरान सबसे दिलचस्प बात यह रही कि भारत के हेड कोच इस समय भी राहुल द्रविड़ ही हैं। अगर ऐसी स्थिति में आज इन दोनों खिलाड़ियों को एक दूसरे का साथ मिल जाता तो शायद भारत वर्ल्ड चैंपियन बन जाता।
नोट : यह लेख पूरी तरह से लेखक के अपने निजी विचारों पर आधारित है, संस्थान से इसका किसी प्रकार का कोई संबंध नहीं है।