किसी ने क्रिकेट के लिए छोड़ा घर, किसी के पिता ने बेटी के लिए की मजदूरी , जानिए वर्ल्ड कप जिताने वाली बेटियों की सच्ची कहानी
किसी ने क्रिकेट के लिए छोड़ा घर, किसी के पिता ने बेटी के लिए की मजदूरी , जानिए वर्ल्ड कप जिताने वाली बेटियों की सच्ची कहानी

हाल ही में भारतीय अंडर-19 महिला टीम ने वर्ल्ड कप के फाइनल में इंग्लैंड की टीम को करारी शिकस्त देकर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवाया है। शेफाली वर्मा की कप्तानी से सजी अंडर-19 वुमन टीम वर्ल्ड कप का खिताब जीतने में कामयाब रही। बता दें कि शेफाली की टीम क्रिकेट में कोई भी आईसीसी टूर्नामेंट जीतने वाली पहली टीम बनी है। वही टीम के हर खिलाड़ी की अपनी एक अलग कहानी है और यहां तक पहुंचने के लिए किसने कितना संघर्ष किया चलिए आपको बताते हैं पूरी डिटेल।

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शेफाली वर्मा
सबसे पहले बार टीम की कप्तान की करेंगे बात अगर शेफाली की करें तो और टॉमबॉय बनकर क्रिकेट करियर की शुरुआत करने वाली शेफाली ने 15 साल की उम्र में ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा और उसके बाद उन्होंने अब टीम को वर्ल्ड चैंपियन बनाकर इतिहास रच दिया।

श्वेता सेहरावत
देश की राजधानी दिल्ली से आने वाली श्वेता ने पूरे वर्ल्ड कप में अपने बल्ले से खूब रन बनाए हैं तो वहीं उन्होंने इस टूर्नामेंट में 299 रन बनाते हुए भारत की जीत में बड़ी भूमिका निभाई है।

सौम्या तिवारी
भारत के लिए फाइनल मैच विनिंग शॉट खेलने वाली सौम्या तिवारी ने भी भारत की जीत में एक बड़ा योगदान दिया है। आपको बता दें कि सौम्या भोपाल से रहने वाली हैं और टीम इंडिया के लिए उनका सफर आसान नहीं था। लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं आ रही और अपने आपको यहां पर लाकर खड़ा किया।

गोंगाडी त्रिशा
भारत की गोंगाडी त्रिशा ने भी टीम के लिए एक बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया है । उन्होंने अपने पिता के साथ के साथ यहां का सफर तय किया है। गोंगाडी के पिताजी ने अपनी बेटी का क्रिकेट करियर बनाने के लिए खुद की जॉब को कुर्बान किया और हैदराबाद में खुद शिफ्ट हो गए ताकि वह अपनी बेटी को क्रिकेट की दुनिया में आगे बढ़ा सके।

रिचा घोष
भारतीय टीम में अपनी विकेटकीपिंग से सभी को प्रभावित करने वाली रिचा ने भी काफी संघर्ष किए हैं उन्होंने महज 16 साल की उम्र में ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की दुनिया में कदम रख दिया था।

हर्षिता घोष
भारत की ओर से एक विकेटकीपर बल्लेबाज हर्षिता घोष जो अपने बेहतरीन बल्लेबाजी के लिए जानी जाती हैं। हर्षिता स्कूप शॉट के पसंदीदा शॉर्ट्स में से एक है पश्चिम बंगाल के हावड़ा में पैदा हुई हर्षिता मैदान पर काफी ज्यादा एक्टिव होती हैं और फील्डिंग में भी काफी महत्वपूर्ण योगदान देती।

टिटास संधू
फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड की कमर तोड़ कर हाथ में देने वाली भारतीय गेंदबाज टिटास संधू संधू ने पूरे टूर्नामेंट में काफी अच्छा प्रदर्शन दिखाया है। आपको बता दें कि महिला खिलाड़ी के प्रदर्शन को देखकर हर कोई उन्हें भविष्य की झूलन गोस्वामी कह रहा है।

मन्नत कश्यप
बाएं हाथ के ऑलराउंडर ने पूरे टूर्नामेंट में गेंदबाजी से सबको प्रभावित किया है उन्होंने टूर्नामेंट में अभी तक एक के बाद एक 10 विकेट चटकाए हैं बता दें कि मन्नत ने लड़कों के साथ क्रिकेट खेल कर यहां तक का सफर तय किया है।

अर्चना देवी
भारत की गेंदबाज अर्चना देवी का जीवन भी काफी संघर्ष भरा रहा है। उनकी मां दूसरों के खेतों में मजदूरी करती थी उनके घर वालों ने लाइट होने की वजह से जनरेटर से टीवी पर मैच देखा।

.पाश्वी चोपड़ा
अपने सपनों को त्याग कर .पाश्वी चोपड़ा क्रिकेट के मैदान तक पहुंची है उन्होंने अपने बचपन का सपना स्केटिंग छोड़कर क्रिकेट को चुना और भारतीय टीम में अपनी जगह को पक्का किया। आपको बता दें कि खिलाड़ी ने 6 मैच खेलकर 7 की औसत के साथ 11 विकेट हासिल किए हैं।

सोनम यादव
गरीब परिवार से आने वाली सोनम यादव ने भी भारतीय क्रिकेट का सफर तय किया है। फिरोजाबाद की रहने वाली सोनम के पिता एक मजदूर है सोनम के पिता को भी क्रिकेट में बहुत दिलचस्पी थी। परंतु उसका करिए ज्यादा उड़ान नहीं भर पाया लेकिन सोनम ने अपने प्रदर्शन से भाई का सपना पूरा किया है।

फलक नाज
फलक नाज ने भी अपनी सटीक लाइन गेंदबाजी से टीम इंडिया में अपनी जगह बनाई है। लेकिन उन्हें एक भी मुकाबला खेलने का मौका नहीं मिला आपको बता दें कि जल्द ही यह महिला खिलाड़ी टीम में नजर आएंगी।

सोनिया मेंधिया
हरियाणा की सोनिया मेंधिया ने घरेलू क्रिकेट में काफी शानदार प्रदर्शन देकर टीम में अपनी जगह बनाई है लेकिन एक ऑफ स्पिनर और दाएं हाथ के बल्लेबाज भी हैं वह निचले मध्यक्रम में काफी बढ़िया स्ट्राइक रेट के साथ बल्लेबाजी करती है और उन्हें अभी तक एक भी मुकाबला खेलने का मौका नहीं मिला।

शबनम
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में जन्मी शबनम नई गेंद के साथ शुरुआत से काफी अच्छी स्थिति गेंदबाजी करते हैं और बॉल को अपने दोनों तरफ घूम आते नहीं हैं हालांकि शबनम को एक भी मुकाबला खेलने का अभी तक मौका नहीं मिला है

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