यह पांच भारतीय Cricketers चोटिल होने के बाद भी डटे रहे मैदान पर
यह 5 भारतीय Cricketers चोटिल होने के बाद भी डटे रहे मैदान पर, टीम के लिए करियर लगा दिया दांव पर

भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों और फैंस के लिए क्रिकेट सिर्फ एक खेल ही नहीं, बल्कि उसके कहीं ऊपर है। प्रत्येक Cricketers पूरी लगन सम्मान और निष्ठा के साथ इस खेल को खेलता है। लेकिन किसी भी खेल में खिलाड़ियों का चोटिल होना कोई खास बात नहीं होती है।

बदलते समय के साथ खेल में बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा को देखते हुए अक्सर देखा जाता है, कि खिलाड़ी मांसपेशियों में खिंचाव या किसी अन्य चोट के चलते मैदान से बाहर हो जाते हैं। ऐसे कई मौके सामने आए जब क्रिकेट मैच के दौरान चोटिल होने के बाद खिलाड़ियों को मैदान छोड़ना पड़ा। लेकिन इसके साथ ही कई ऐसे मौके भी रहे, जब खिलाड़ियों ने अपनी चोट को नजरअंदाज करते हुए मैदान पर डट कर खेलना ही उचित समझा।

क्रिकेट का खेल अपने खिलाड़ियों की वीरता भरे कार्य को नहीं भूल सकता और आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक प्रेरणा स्रोत भी साबित होगा आईएएस आर्टिकल के जरिए भारतीय टीम के ऐसे 5 बहादुर खिलाड़ियों के बारे में बात करेंगे।

रोहित शर्मा

बांग्लादेश के खिलाफ खेले गए दूसरे मुकाबले के दौरान भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने जिस वीरता और साहस का परिचय दिया। उसे आजीवन नहीं भुलाया जा सकता। भारतीय टीम के उभरते हुए सितारों के सामने रोहित शर्मा ने एक बेहतरीन मिसाल कायम की है। 7 दिसंबर को बांग्लादेश की पारी के दौरान हिटमैन अंगूठे की चोट का शिकार हो गए थे। जिसके चलते उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन फिर भी वह अपने हाथों में मरहम पट्टी कराने के बाद दोबारा स्टेडियम मैं लौटते हुए 9 नंबर पर बल्लेबाजी करने से पीछे नहीं हटे। रोहित के इस जज्बे ने फैंस के दिल में उनके लिए कई गुना इज्जत और सम्मान को बढ़ा दिया है।

अनिल कुंबले

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व स्पिनर गेंदबाज अनिल कुंबले भी चोटिल होने के बाद भी मैदान पर डटे रहे। साल 2004 में भारत और वेस्टइंडीज के बीच चौथे टेस्ट मैच में कुंबले डिलन बाउंसर की चपेट का शिकार हो गए थे। जिसके चलते उनके जबड़े पर गेंद जाकर लगी, हालांकि टीम का साथ उन्होंने इसके बाद भी देने का फैसला किया, और खून थूकते हुए बल्लेबाजी करने से पीछे नहीं हटे।

अगले दिन वेस्टइंडीज की पारी के दौरान पट्टीदार चेहरे के साथ यह खिलाड़ी मैदान पर गेंदबाजी करने के लिए उतरा, और 14 ओवर भी डालें। लारा का विकेट भी वह अपने इन ओवरों में अपने नाम करने में कामयाब रहा।

एमएस धोनी

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपने कार्यकाल के दौरान टीम के लिए एक से बढ़कर एक कारनामे कर दिखाए हैं। भारतीय फैंस के द्वारा पूर्व कप्तान द्वारा किए गए बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। वहीं भारतीय टीम के लिए खेलते हुए उनके द्वारा एक ऐसा फैसला लिया गया, जिसके चलते आज वह भारतीय टीम के बहादुर खिलाड़ियों में गिने जाते हैं।

दरअसल जिंबाब्वे के खिलाफ हरारे में अचानक उनकी बाईं आंख में गंभीर चोट लग गई, वही धोनी डोनाल्ड ट्रिपानो की गेंद को हूक करने की कोशिशों में लगे हुए थे। लेकिन ऐसा करने में वह नाकाम साबित हुए, और गेंद उनकी आंख में लग गई। इसके बाद भी वे मैदान पर डटे रहे और विकेट के पीछे खड़े दिखाई दिए।

युवराज सिंह

ऐसा संभव नहीं है, कि चोटिल खिलाड़ियों में युवराज सिंह का जिक्र ना किया जाए। साल 2011 वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले के दौरान युवराज सिंह भारतीय फैंस के दिलों दिमाग में आज भी जिंदा है। इस मैच के दौरान भारतीय टीम में युवराज के योगदान को भुला पाना नामुमकिन है् विश्व कप 2011 के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट के दौरान युवराज सिंह कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने के बाद भी विश्वकप खेलने से पीछे नहीं हटे। उनके साथी खिलाड़ियों ने बताया कि मैच के दौरान युवराज को खून की उल्टियां होती रही, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने वर्ल्ड कप खेलना नहीं छोड़ा।

शिखर धवन

प्रत्येक खिलाड़ी वर्ल्ड कप जैसे टूर्नामेंट के दौरान अपनी प्रतिभा को साबित करना चाहता है। कुछ ऐसा ही टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाज शिखर धवन ने भी किया। आईसीसी के इस टूर्नामेंट के दौरान उनके आंकड़े बेहद शानदार नजर आए। इंग्लैंड के द ओवल में विश्व कप 2019 में एक बार फिर से यह खिलाड़ी अपनी महानता को साबित कर सका।

पारी की शुरुआत में शिखर धवन उंगली की चोट का शिकार हो गए, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने मैच में बल्लेबाजी को जारी रखा। चोटिल होने के बाद भी वह शतक जड़ने से पीछे नहीं हटे, और 5 विकेट पर टीम को 352 के बेहतरीन स्कोर तक पहुंचाया। उनके इस बेहतरीन प्रदर्शन के चलते भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत हासिल कर सकी।

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