भारतीय क्रिकेट को पूरी तरह से बदलने वाले 5 मौके
भारतीय क्रिकेट को पूरी तरह से बदलने वाले 5 मौके, जिससे कारण जीता 3 विश्व कप

आज क्रिकेट की दुनिया की सबसे मजबूत टीम कहीं जाने वाली भारतीय क्रिकेट टीम है। आज की भारतीय टीम ने केवल अपनी सरजमीं पर बल्कि विदेशी जमीन पर भी अपना दबदबा कायम करने मैं कामयाब साबित हो रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय क्रिकेट टीम में यह बदलाव कैसे हुए।

जी हां इसका मुख्य कारण भारतीय टीम के गेंदबाज और बल्लेबाजों के साथ-साथ बेहतरीन फील्डरों का होना माना जाता है। मौजूदा समय में भारतीय टीम के पास ऐसे गेंदबाज मौजूद हैं जिससे विश्व के सभी बल्लेबाज डरते हैं ऑलराउंडरों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी नजर आ रही है।

आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको पांच ऐसे मौकों के बारे में बताएंगे जिसके चलते भारतीय क्रिकेट टीम में आज इतना बदलाव नजर आया है यह बेहतरीन मौके भारतीय क्रिकेट को तो बदलने में कामयाब रहे लेकिन इसके साथ-साथ इनका असर हमें विश्व क्रिकेट पर भी नजर आया।

1971 में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट सीरीज जीत

कहा जाता है, कि साल 1983 के बाद से क्रिकेट टीम में हमें बदलाव देखने को मिले हैं।लेकिन इसका भरोसा हमें सन 1971 की टीम से मिला था। आज भी एक खिलाड़ी के लिए विदेशी सरजमीं पर टेस्ट सीरीज जीतना काफी बड़ी बात होती है। उस समय दोनों दौरों पर भारतीय टीम के कप्तान अजीत वाडेकर थे।

1971 में अजीत वाडेकर की टीम पहले वेस्टइंडीज गई और वहां पहली बार विश्व क्रिकेट में सुनील गावस्कर को बल्लेबाजी करते देखा। जिसमें वह 774 रन बनाने में कामयाब रहे थे। इसके साथ साथ उनके साथ दिलीप सरदेसाई भी मौजूद थे। जिन्होंने पहले मैच के दौरान शानदार दोहरा शतक लगाते हुए भारतीय टीम को सीरीज जीतने की कगार तक पहुंचाया था।

वेस्टइंडीज में जीतने के बाद फिर भारतीय टीम इंग्लैंड पहुंची, जहां पर पहले से दो मैच ड्रा हो गए थे। वही चंद्रशेखर ने तीसरे मैच के दौरान 38 रन देकर 6 विकेट हासिल किए, लेकिन दूसरी पारी के दौरान भारतीय टीम को 173 रनों का लक्ष्य मिल सका। जिसके बाद सरदेसाई द्वारा 40 रन और विश्वनाथ द्वारा 33 रन बनाकर भारतीय टीम को इंग्लैंड टेस्ट सीरीज जताई गई। भारतीय टीम के अंदर इस सीरीज को जीतने के बाद आत्मविश्वास जाग सका।

1983 का विश्व कप जीतना

विराट कोहली की टीम मौजूदा समय में जिस स्थान पर है। उसका सबसे बड़ा कारण 25 जून 1983 का विश्व कप जीतना रहा। सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज खिलाड़ियों द्वारा इस विश्व कप को जीतने के बाद ही क्रिकेट खेलने का फैसला किया गया।

दो बार पहले भी विश्व कप खेला गया था, लेकिन उसमें भारतीय टीम का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। कप्तान कपिल देव और सुनील गावस्कर, मोहिंदर अमरनाथ जैसे खिलाड़ियों की मौजूदगी का फायदा भारतीय टीम को को पहुंचा, जिसके चलते भारतीय टीम फाइनल तक पहुंच गई।

वहीं भारतीय टीम का सामना फाइनल में 2 बार की विश्व चैंपियन वेस्टइंडीज टीम से हुआ। जहां भारतीय टीम मात्र 183 रन बनाने में कामयाब रही, लेकिन बेहतरीन गेंदबाजी के चलते भारतीय टीम यह मुकाबला जीतने में कामयाब साबित हुई। इसके साथ ही भारतीय टीम नया इतिहास रच सकी, और यहां से क्रिकेट में बदलाव शुरू हुए।

2001 में आस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज जीतना

ऑस्ट्रेलियाई टीम अजेय कही जाती है। ऑस्ट्रेलियाई टीम पहला मैच मुंबई में आसानी से जीतने में कामयाब रही इसके बाद सीरीज का दूसरा मुकाबला कोलकाता में खेला गया। जहां ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत को फॉलोऑन दे सकी। उसके बाद वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ अपने रिकॉर्ड पार्टनरशिप के चलते भारतीय टीम को आगे तक पहुंचाने में कामयाब साबित हुए। वहीं हरभजन सिंह ने अपनी बेहतरीन गेंदबाजी के चलते ऑस्ट्रेलियाई टीम को हरा दिया।

इस सीरीज के दौरान हरभजन सिंह 32 विकेट चटकाने में कामयाब रहे। जिसके चलते भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया को इस सीरीज में हराने में कामयाब रही। भारतीय टीम को इस जीत के बाद तो सुपर स्टार खिलाड़ी मिले, इसके साथ-साथ कई और अन्य सीरीज जीतने की प्रेरणा भी भारतीय टीम को मिल सकी।

2002 नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल

1983 में वर्ल्ड कप जीतने के बाद हमने अपनी टीम के रूप को और स्वयं को निखारा है। लेकिन इस बीच हम कोई भी ट्रॉफी नहीं जीत सके। लेकिन साल 2002 में लॉर्ड्स के मैदान पर भारतीय टीम द्वारा नेटवेस्ट ट्रॉफी का फाइनल जीता गया, तो कई बड़े बदलाव सामने आए। इसके बाद टीम में एक अलग ही आत्मविश्वास देखने को मिला। जिसके चलते 2011 का विश्व कप भी हम जीतने में कामयाब रहे।

लॉर्ड्स के मैदान पर युवाओं से भरी हुई सौरव गांगुली की टीम जब 326 रनों के स्कोर का पीछा करने मैदान पर उतरी, तो किसी को भी उम्मीद तक नहीं थी। लेकिन जिन युवा खिलाड़ियों को गांगुली द्वारा टीम में शामिल किया गया, वह टीम के काम आया जिसके चलते युवराज सिंह जैसा सुपर स्टार खिलाड़ी हमें मिल सका।

भारतीय टीम फाइनल मुकाबले के दौरान युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ की बल्लेबाजी के चलते जीत हासिल करने में कामयाब रही। खिताब हासिल करने के बाद सौरव गांगुली अपनी टीशर्ट उतार कर बालकनी में लहराते नजर आए, जिसके चलते उन्होंने यह बताने की कोशिश की, कि आने वाले समय में हम राज करेंगे।

2007 टी20 विश्व कप जीत

टी20 के नए फॉर्मेट में आईसीसी द्वारा एक नया टूर्नामेंट कराने के बारे में सोचा गया। भारतीय टीम के कई बड़े खिलाड़ियों ने दक्षिण अफ्रीका में होने वाले इस T20 वर्ल्ड कप में जाने से साफ इनकार कर दिया। इसके बाद पहली बार महेंद्र सिंह धोनी को टीम के साथ कप्तान बनाकर भेजा गया।

एक कप्तान के रूप में महेंद्र सिंह धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ पहले मुकाबले के दौरान खुद को साबित किया था। जिसके बाद दोबारा उन्होंने पीछे पलटकर कभी नहीं देखा। एक बार फिर से भारतीय टीम का फाइनल में सामना पाकिस्तान से हुआ। जिसमें फाइनल मुकाबला जीतकर भारतीय टीम इतिहास रचने में कामयाब रही।

टूर्नामेंट के बाद ही भारतीय क्रिकेट टीम को महेंद्र सिंह धोनी के रूप में सबसे सफलतम कप्तान मिल सके। जिनकी कप्तानी के दौरान भारतीय टीम 2011 में वर्ल्ड कप और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीतने में कामयाब रही। भारतीय क्रिकेट में इस फाइनल में जीत के बाद आईपीएल का आगमन हुआ था, जो भारतीय क्रिकेट को पूरी तरह से बदलने में कामयाब रहा।

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