रात 2.30 बजे विराट के पापा का देहांत हो चूका था, वो सुबह जगा और , सरोज कोहली ने बताया उस दिन का पूरा किस्सा जिसने बदली विराट की जिंदगी
रात 2.30 बजे विराट के पापा का देहांत हो चूका था, वो सुबह जगा और , सरोज कोहली ने बताया उस दिन का पूरा किस्सा जिसने बदली विराट की जिंदगी

क्रिकेट के मैदान में धुआंधार पारी खेलने वाले विराट कोहली आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। मैदान में एक के बाद एक रिकार्ड्स की झड़ी लगाने वाले विराट का यह सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। दुनिया का बेहतरीन और नंबर 1 बल्लेबाज बनने के लिए इस खिलाड़ी ने सिर्फ खूब मेहनत की बल्कि अपनी टेक्निक पर भी काम किया। तो चलिए आज किंग कोहली के बारें में आपको कुछ ऐसी बातें बताते है जो बेहद कम लोग जानते हैं।

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अपने पिता के लाडले थे कोहली

विराट कोहली का जन्म दिल्ली के उत्तम नगर की पंजाबी फैमिली में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रेम कोहली और मां का नाम सरोज कोहली हैं। विराट के पिता की जब मृत्यु हुई तब उनकी उम्र महज 18 साल की थी। कोहली के पिता ये देहांत के बाद उनकी जिंदगी किस तरह से बदली खुद इस बात को उनकी मां ने एक इंटरव्यू के दौरान सबके सामने बताया।

पिता की मौत की खबर सुन हक्के-बक्के रह गए थे कोहली

कोहली की मां सरोज कोहली ने उस दिन की बात का जिक्र करते हुए बताया कि

‘विराट शाम में घर आया वो 40 रन पर नॉटआउट था। शाम को वो घर आकर सो गया काफी थका हुआ था, उसके पापा काफी बीमार थे, उनको ब्रेन हैमरेज हुआ था। रात को हमने देखा 2.30 बजे उसके पापा खत्म हो चुके थे। हमने विराट को बताया नहीं सुबह उठा जब उसने देखा तो वो रोने लग गया। कहता है कि अब मैं क्या करूं।’

जब कोच से ली थी सलाह

विराट की मां ने अपनी बात को आगे बढ़ाया और बताया

“विराट ने अपने कोच राजकुमार शर्मा को फोन किया और उनसे पूछा कि सर अब मैं क्या करूं? उसके पापा का सपना था, उन्होंने ही विराट को इतनी मेहनत करवाई थी। विराट ने सोचा कि पापा का सपना पूरा हो रहा है अब मैंने इसे छोड़ना नहीं है। विराट ग्राउंड पर गया और उसने 98 रन बनाए। वहीं से वो पिता के अंतिम संस्कार में आया। बस यही वो मौका था जब वो एकदम से बदल गया।”

जब विराट से उनके सुपरहीरो के बारें में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि

मेरे पापा जब तक थे तब तक वो ही मेरे सुपरहीरो थे। उन्होंने जो-जो मेरे सामने उदाहरण सेट किए उनसे ही मैं आगे नहीं बढ़ पाया हूं। जब मैं छोटा था क्रिकेट खेल रहा था तब उन्हें जो-जो फैसले मेरे लिए किए वो मेरे काम आए। वो चाहते तो मुझे किसी दूसरे डाइमेंशन में भी भेज सकते थे लेकिन, उनके फैसले की वजह से मेरा फोकस हमेशा क्रिकेट ही रहा। मैं अपनी मेहनत के दमपर ही आगे बढ़ा।’

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