PAK vs NZ
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PAK vs NZ : टी-20 वर्ल्ड कप के पहले सेमीफाइनल मुकाबले के दौरान पाकिस्तान द्वारा न्यूजीलैंड को हरा दिया गया। सिडनी में खेले गए पहले सेमीफाइनल को जीतकर पाकिस्तान फाइनल में जगह बनाने में कामयाब रहा। इस मैच के दौरान जहां एक तरफ पाकिस्तान की बेहतरीन बल्लेबाजी और गेंदबाजी चर्चा का विषय बनी रही, वही Mohammed Rizwan का विकेट भी डिबेट का इश्यू बन गया। जिस पर प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा अपनी अलग-अलग राय व्यक्त की जा रही है। लेकिन इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताएंगे, कि एमसीसी के नियमों और कानूनों द्वारा इसे लेकर क्या कहा जाता है।

आखिर क्या है पूरा मामला?

दरअसल हुआ यह, कि पाकिस्तान की बल्लेबाजी के दौरान पहले सेमीफाइनल मैच में बाबर आजम और मोहम्मद रिजवान द्वारा बेहतरीन बल्लेबाजी की जा रही थी। कि अचानक 17वें ओवर के दौरान मोहम्मद रिजवान द्वारा ट्रेंट बोल्ट की फुल टॉस गेंद पर मिसटाइम शॉट खेला गया।

जिसे न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों द्वारा कैच कर लिया गया, इसके अतिरिक्त न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों द्वारा रिजवान को आउट करार दिया गया। क्योंकि उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा था, कि गेंद नो बॉल हो सकती है लेकिन बाद में अंपायर द्वारा गेंद चेक करने के बाद यह गेंद सही निकली, जिसके चलते रिजवान को कैच आउट करार दे दिया गया।

अगर गेंद नो बॉल होती तो क्या हो जाते रिजवान रनआउट

इस विकेट के बाद यह सवाल उठाया जा रहा है, कि अगर गेंद नो बॉल होती तो क्या फिर भी रिजवान को रन आउट होने के कारण पवेलियन लौटना पड़ता। इसका जवाब देते हुए एनसीसी द्वारा ट्वीट किया गया है, और बताया गया क्रिकेट के नियमानुसार अगर कोई गेंद नो बॉल हो जाती है, तो रिजवान क्रीज पर ही मौजूद रहेंगे, क्योंकि जब उनका कैच हुआ था, उस समय गेंद पहले से ही डेड हो गई थी। जिसके चलते गेम से बाहर हो गई थी। इसलिए नॉन स्ट्राइकर एंड पर थ्रो से किसी का फायदा नहीं हो‌ सकेगा ।

अगर ऑन फील्ड अंपायर देते नो बॉल तो हो जाते रन आउट

जिस समय मोहम्मद रिजवान कैच आउट हुए थे, तब अंपायर द्वारा नो‌बॉल चेक करने के लिए थर्ड अंपायर की सहायता ली गई थी। जिसके चलते उसे नोबॉल नहीं स्वीकारा गया। लेकिन अगर ऑन फील्ड अंपायर द्वारा सीधे नो बॉल का इशारा कर दिया जाता, तो रिजवान रन आउट हो सकते थे। क्योंकि गेंद कैच से पहले फिर डेड नहीं मानी जाती और खेल में‌ बनी रहती। एमसीसी द्वारा अपने टि्वट में इस बात को भी लिखा गया है, कि नो बॉल को डेड करार देने का यह नियम अंपायर के निर्णय पर लागू नहीं किया जा सकता।

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