बरमूडा ट्रायंगल की तरह ही मुश्किल है टीम इंडिया की पॉलिटिक्स को समझना, चकरा जाता है पूरा दिमाग
बरमूडा ट्रायंगल की तरह ही मुश्किल है टीम इंडिया की पॉलिटिक्स को समझना, चकरा जाता है पूरा दिमाग

जिस तरीके से बरमूडा ट्रायंगल को समझना नामुमकिन है। उसी तरीके से क्रिकेट के गलियारों में चल रही पॉलिटिक्स को समझना भी बेहद मुश्किल है। जहां एक तरफ बीसीसीआई ने T20 वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल में मिली हार के बाद सख्त कदम उठाते हुए चयन समिति को बर्खास्त कर नई सिलेक्शन कमेटी के लिए एप्लीकेशन मंगवाए तो वही कप्तान और कोच को बदलने के बाद भी काफी तेजी से उठ रही है। हालांकि हार के बाद बीसीसीआई का इस तरीके से एक्शन में आना तो समझ आता है।

लेकिन टीम इंडिया में लगातार हो रहे बदलाव को समझना फिर भी नामुमकिन है। जहां एक तरफ न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में शिखर धवन को कप्तानी सौंपी गई है। वही बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज मैं रोहित शर्मा कप्तानी करते हुए नजर आएंगे। इतना ही नहीं वनडे मैचों की अच्छी परख रखने वाले धवन को बांग्लादेश के खिलाफ उप कप्तान बनने का भी मौका नहीं दिया गया है।

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खिलाड़ियों के चयन प्रक्रिया ने घूम आए दिमाग के पेंच

न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में खेलने वाली टीम के अंदर 8 खिलाड़ी ऐसे हैं। जो बांग्लादेश के खिलाफ वनडे टीम का हिस्सा नहीं है लेकिन इन खिलाड़ियों को टीम से बाहर क्यों किया गया है इस बात का जवाब किसी के पास नहीं है। लेकिन जब बात बड़े खिलाड़ियों की आती है तो अक्सर छोटे खिलाड़ियों को नजरअंदाज कर बड़े खिलाड़ियों को जगह दी जाती है। अब हाल ही में आए दीपक हुड्डा के इंटरव्यू को ही देख लीजिए जब उनसे यह सवाल किया गया कि वह टीम में किस पोजीशन पर बल्लेबाजी करना चाहते हैं।

उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वह नंबर 3 नंबर 4 पर नहीं खेल सकते। क्योंकि वहां पर बड़े दिग्गज खिलाड़ी खेलते हैं नंबर 5 के बारे में सोचना फिर भी प्रैक्टिकल है। इंटरव्यू के बाद लोगों ने जमकर प्रतिक्रिया दी थी न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में रोहित शर्मा विराट कोहली इन बांग्लादेश के खिलाड़ी टीम में मौजूद टीम के खिलाड़ियों कट जाता है।

आईसीसी को परेशान कर रही है यह बात

दरअसल टीम इंडिया 2013 के बाद कोई भी बड़े आईसीसी टूर्नामेंट को जीतने में नाकामयाब हुई है। जहां एक तरफ इस साल T20 वर्ल्ड कप में रोहित शर्मा के सभी को भी दी थ तो वहीं इंग्लैंड से मिली बड़ी हार के बाद ये उम्मीदें धूमिल हो गई। जिसकी वजह से टीम के कप्तान और कोच को बहुत ज्यादा ट्रोल किया गया। लेकिन हर बार बदलती टीम के साथ क्या जीत मुमकिन है। यह अपने आप में ही एक बड़ा सवाल है। जहां एक तरफ टीम इंडिया के मुख्य खिलाड़ियों को टीम की ताकत बताया जाता है।

वहीं नए खिलाड़ियों को इतनी ज्यादा तवज्जो क्यों नहीं दी जाती है । यह बात भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है। हालांकि अभी वनडे वर्ल्ड कप में करीब 1 साल का वक्त है और इस साल में सिर्फ और सिर्फ उन्हीं खिलाड़ियों को लेकर बात होनी चाहिए। जिनके पास सेलेक्टर्स अपनी कंसिस्टेंसी दिखा सके

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